धरती की तरह सहनशील हूं मैं...
लेकिन पत्थर नही हूं...
हाँ मुझमें अह्सास अभी बाकी हैं...
कई तूफां आये और चले गये...
लेकिन ज़िन्दगी थमी नही है...
हाँ इसकी रफ्तार अभी बाकी हैं...
हाँ मुझमें अह्सास अभी बाकी हैं...
मुझे सताने वालों ने बदले है पैंतरे कई...
लेकिन मैं अब तक हारी नही हूँ...
हाँ मुझमे जीत का जज़्बा बाकी हैं...
हाँ मुझमे अह्सास अभी बाकी हैं
अर्चना