Thursday, May 26, 2011

कुछ अजनबी दोस्त....

कामयाबी के शिखर पर बैठे कुछ दोस्तों ने...

आज जब मुझे पहचानने में शर्मिन्दगी मह्सूस की....

तो मैंने उन्हें और कामयाबी की दुआ दे कर...

अजनबी लोगों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया...

सच कहूँ तो एक पल के लिये दुख तो बहुत हुआ...

लेकिन बाद मे एक सूकून हासिल हुआ...

ऐसा लगा कि मैं कुछ एकतरफा रिश्तों से आज़ाद हो चुकी हूँ...

जिन्हे निभाने में मैने तो अपना बहुत कुछ लगा दिया लेकिन...

उन्होनें मुझे मेरी इस कोशिश को सिरे से नक़ार दिया...

खैर ज़िन्दगी ने आखिर एक और सबक मुझे सिखा ही दिया...

और मुझे बता ही दिया कि वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता है...

कुछ दोस्त अजनबी बन जाते है...

कुछ अजनबी दोस्त बन जाते है...

अर्चना.......

4 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा है आपने। ये जिदंगी की एक कड़वी सच्चाई है। सुदंर रचना। सादर।

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  2. बदलते हैं दोस्त
    बदलते हैं दुश्मन भी
    फेहरिश्त ने कहा -
    मैं अंतिम नहीं हूँ अभी
    न जाने कौन-कौन जुडेगें
    न जाने कौन-कौन हटेंगे अभी.

    अर्चना जी ! दुःख करने की आवश्यकता नहीं ....अच्छा हुआ जो असली पहचान हो गयी.

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  3. bilkul satya vachan kahen hai mam apne
    jai hind jai bharat

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