Monday, September 3, 2012

मै संगीत हूँ...
मैं ही तो ज़िन्दगी हूँ...
वो ज़िन्दगी जिसकी हर धडकन इक सरगम है...
सांसे सुरों का संगम है...
जो थोडी सी चंचल है...
थोडी सी मासूम भी...
और है इक अनोखी अदाकारी से भरपूर...
इसके हर लफ्ज़ में मानो शहद मिला हो...
और उसी की मिठास से लोग अपने सुरों को सजाते है...
वो इसके लम्हों मे जीते है...
इसकी गहराइयों मे उतर, इसकी उंचाइयों को छूते है...
वो इसकी हवाओं मे बह कर...
सारी दुनिया की खुशियाँ अपने दामन में सहेज कर..
अपने ख्वाबों को महसूस करते हैं...
वो ख्वाब जो पुरे होते है तो एक गीत बन जाते है...
एक ऐसा गीत जिसमें जज़्बातो का साज़ है...
खूबसुरत से अह्सास है....
और हर अह्सास जैसे एक सुरीला उत्सव है...
एक मस्ती का रंग है...
Archana

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