Sunday, September 4, 2011

तुम्हारी याद...

कल शब् यूँ ही बैठे-बैठे...
तुम्हारी एक बात याद आ गई...
और बस फिर क्या था...
शब् ऐसे कटी...
जैसे सदियाँ एक लम्हे में गुज़र जाती है...
मन यूँ खुशियों से भर गया...
जैसे सारा आलम ही...
खुशनुमा नजारों से भर गया...
जानते हो...
जब सुबह की शबनम में नहा कर...
मेरा वजूद मेरे सामने आया...
तो सूरज ने उसे पहला सलाम किया...
और उसकी शोख़ चंचल किरणों ने...
मेरे गीले बालों को जिस लम्हा छुआ...
वो बेसाख्ता सा हँस दिया...
और उसकी इस हंसी ने...
मेरी मुस्कान को सात रंगों से भर दिया...
और आज मेरी बेरंग जिंदगी में...
खुशियों का इन्द्रधनुष लहरा गया...
अर्चना...

2 comments:

  1. Awesome words....kitne acchhe shabd use kiye hain aapne...

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  2. जब सुबह की शबनम में नहा कर...
    मेरा वजूद मेरे सामने आया...
    तो सूरज ने उसे पहला सलाम किया...
    और उसकी शोख़ चंचल किरणों ने...
    मेरे गीले बालों को जिस लम्हा छुआ...
    वो बेसाख्ता सा हँस दिया...
    और उसकी इस हंसी ने...
    मेरी मुस्कान को सात रंगों से भर दिया...
    और आज मेरी बेरंग जिंदगी में...
    खुशियों का इन्द्रधनुष लहरा गया...
    Kya gazab anubhav raha hoga ye!

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