Tuesday, May 6, 2014

हाँ बहती हवा सी हूँ मैं...

बहती हवा सी हूँ मैं मुझे थोड़ा और बह जाने दे
मुझमें कुछ मौसम और बदल जाने दे कि....
 
आज फिर जा रही हूँ सरहदो के पार बहुत दूर...
किसी सकून से लबरेज सरज़मीं पर...
जहाँ सितारे सजदा करते हैं तन्हा...
जहाँ रोशन होने को हैं उम्मीदों का चाँद...
वहाँ आज खुद से निजात पा लेने दे...

हाँ बहती हवा सी हूँ मैं, मुझे थोड़ा और बह जाने दे
मुझमें कुछ मौसम और बदल जाने दे कि....

आज फिर जा रही हूँ, जहाँ मेरे ख्वाबों की वादियाँ...
और राह तक रहे हैं कुछ अंजाने एहसास...
जहाँ रिश्तों की सुलगती आंच नहीं...
बस कुछ गुनगुनाती यादें है जहाँ...
वहाँ आज मुझे गुम हो जाने दे...

हाँ बहती हवा सी हूँ मैं, मुझे थोड़ा और बह जाने दे...
मुझमें कुछ मौसम और बदल जाने दे...
(अर्चना )

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