आज पहले जैसे
संबंध
नहीं रहे…
पहले संबंध जैसे…
नहीं रहे…
पहले संबंध जैसे…
मिट्टी के कुल्हड़ में रबड़ी...
जिनमें केसर सी खूशबू...
जिनमें केसर सी खूशबू...
और ख़ालिस दूध सी शुद्धता...
लेकिन आज मिलावटी जिंदगी के…
मिलावटी दूध में बनी...
लेकिन आज मिलावटी जिंदगी के…
मिलावटी दूध में बनी...
ये बासी रबड़ी से संबंध...
जिसमें शुगर फ्री मिठास तो है…
पर वो बात नहीं…
जो पहले थी...
और हाँ अब कुल्हड़ भी नहीं रहे…
हैं तो बस थर्मोकल की प्लेट...
और उसी की तरह हम भी बनावटी हो चले हैं…
जो किसी का फोन उठाने से पहले...
सोचते हैं…
कि…
आज कौन-सा बहाना बनाना है… (अर्चना)
जिसमें शुगर फ्री मिठास तो है…
पर वो बात नहीं…
जो पहले थी...
और हाँ अब कुल्हड़ भी नहीं रहे…
हैं तो बस थर्मोकल की प्लेट...
और उसी की तरह हम भी बनावटी हो चले हैं…
जो किसी का फोन उठाने से पहले...
सोचते हैं…
कि…
आज कौन-सा बहाना बनाना है… (अर्चना)
बहुत खूब ....दमदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteshukriya Sanjay...
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