Monday, February 6, 2023

 

हाँ मैं एक बेटी हूँ....

घर की लक्ष्मी हूँ....

फिर क्यो क़हते हो...

धन पराया हूँ...

क्यों नहीं देते मुझे...

माँ की ममता का आँचल...

क्यों नहीं देते...

बाप का मजबूत साया...

क्यों डरते हो...

मुझे दुनिया में लाने से....

क्यों मुझे बोझ समझते हो...

क्यों मुझे गर्भ में मारते हो...

आज मै पूछ़ती हु...

उ़न हत्यारों से...

क्यो तुम्हारें मन मे...

जहर हैं समाया...

अरे नासमझो...

समझो इस बात को...

बेटी हैं तो ...

कल तुम्हे बहु मिलेगी...

अरे नादानों

क्यों नही सुनाईं देती तुम्हें...

उस अज़न्मी बेटी क़ी आवाज...

ज़ो पूछ रही...

तुमसे यही सवाल...

क्यों छीन रहे हो...

उसकें ज़ीने क़ा अधिक़ार...

लेने दो जन्म उसे भी...

कर दो उसे भी साकार...

वरना सुन लो...

ये भ्रूण़ हत्या...

बन जाएगी ब्रह्म हत्या....

और इसका भी...

लिया जायेगा हिसाब...

नरक में भी जगह नहीं मिलेगी तुम्हे...

ना बढेगा तुम्हारा वंशाधार....

हो जाओगे जब निराधार...

फिर कैसे रचोगे ये संसार...

कैसे जियोगे बिन लक्ष्मी...

बिन दुर्गा...

बिन काली...

बिन प्रकृति...

बिन धरती...

बिन नदियाँ...

क्योंकि...नादानों

ये भी तो बेटियाँ हैं....

ये भी तो नारी रूपा हैं...

ये भी नाराज़ होंगी तुमसे...

और छीन लेंगी तुमसे...

जीवन का संतुलन...

इसलिए जागो...

आने दो बेटियों को...

ये लाती हैं अपना भाग्य...

साथ तुम्हारा सौभाग्य...

और ये प्रमाणित हैं आज के युग में...

कि बेटियाँ किसी से कम नहीं...

बेटियाँ हैं तो तुम हो...

तुम्हारा जीवन हैं....

हाँ बेटियाँ ही तो जीवन हैं...

ईश्वर का आशीर्वाद हैं...

आओ आज सौगंध ले...

कि ना रोकेंगे इनके जन्म को...

दुसरे आरक्षण की तरह...

करेंगे इनका संरक्षण...

और लेंगे प्रतिज्ञा...

कन्या भ्रूण आरक्षण का...

यही एक बेटी को सच्चा सन्मान हैं...

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