जब से तुम मिले हो दुनिया ही बदल गई है मेरी...
अच्छा लगने लगा है ये जहाँ...
ये कुदरत...ये कायनात...
और दुश्मनों का भी वो रुखा सा बर्ताव भी ....
हां आग उगलता सा वो सूरज भी भाने लगा है...
और वो टूटी-फूटी डूबती सी नाव भी मन को...
एक जहाज़ का आभास देती है ...
और हाँ वो वृक्षों की पत्तियों पर...
सुखी सी कुरकुरी पत्तियाँ भी मन को बहार सी लगती है....
साथ ही भाने लगी है वो पतझड़ की अकड़ी सी टहनियां...
जिन पर अब कोई पंछी नहीं बैठता...
और हाँ वो नटखट सी नदी का अलबेला सा उफान...
जिस से डर कर अब इसके किनारों पर कोई नहीं आता....
अरे हाँ वो गर्मी की हवा का एक झोंका भी बड़ी ठंडक दे जाता है...
और साथ ही मन को भाता है...
वो चहकते से पंछियों का एक दम से चुप हो जाना...
और मेरे बारे में ये सोचना...
की इस पगली का प्यार भी कितना अजीब है...
इसे वो भी मन को भाता है...
जो दुनिया की नज़र में मनभावन नहीं है ...
अर्चना...
"सच्चे इश्क होने पर पूरी कायनात बदल जाती है पर हकीकत में दुनिया तो वही रहती है बस हम खुद में उतर जाते हैं और हमारा खुद से ही आत्मसाक्षात्कार हो जाता हैं...बढ़िया कविता.."
ReplyDeleteएक अल्हड प्यार के भाव
ReplyDeleteअच्छे भावों मैं पिरोई हुई कविता
धन्यवाद
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
ek masoom pyaar ka warna bahut khub...
ReplyDeletedil ko chhu gayi.....
http://i555.blogspot.com/ mein is baar तुम मुझे मिलीं....
jaroor dekhein...
tippani ka intzaar rahega.