Thursday, April 8, 2010

कुछ पल का साथ

" कुछ अलग जीने की चाह...
कुछ नया कर दिखाने का जोश...
रोज़ नए मायने तलाशती जिंदगी...
रोज़ नए आयाम तलाशती हसरतें...
आपने आप में खोये कुछ अरमान मेरे...
अपने आप को तलाशते वो प्यारे से अहसास...
और हाँ नींद से बैर करती वो कुछ नाकाम कोशिशें...
और वो मुझे चिढ़ाती हुयी तुम्हारी कुछ हसीं यादें...
आज वक्त के साथ बहुत दूर जा रही है...
और मुझसे ये कह रही है की...
ये इतनी भागम भाग क्यूँ है...
आओ कुछ पल साथ बैठ कर...
काम का बोझ कुछ हल्का कर लें...
क्यूंकि ये वक्त छूट रहा हाथों से...
और हम भी दूर जा रहे है तुमसे...
और जानते हो ऐसा कह कर...
वो सब खिलखिलाकर हंस दिए थे...
और साथ मैं हंस पड़ी थी...
ये सोच कर की चलो तुम्हारे सिवा कोई तो है...
जो मुझे कुछ पल साथ बैठने की बात कर रहा है...
अर्चना...

2 comments:

  1. रोज नये मायने...... यही उत्सुकता और जीवन्तता का कारण है ।
    प्रशंसनीय ।

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  2. आपने आप में खोये कुछ अरमान मेरे...
    अपने आप को तलाशते वो प्यारे से अहसास...
    waah archana ji,,....
    mann mein utar gayi yeh panktiyaan....
    mere blog par bhi aapki pratikriya ka intzaar rahega,.....

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