मैं कैद हूँ कई रूप में...
कई रिश्तों में...
कई दायित्वों में...
हाँ मैं कैद हूँ अपने आप में भी...
अरे नही ऐसा नही कि मैं रिहाई चाहती हूँ...
बस मैं तो कुछ वक़्त की तनहाई चाहती हूँ...
कई रिश्तों में...
कई दायित्वों में...
हाँ मैं कैद हूँ अपने आप में भी...
अरे नही ऐसा नही कि मैं रिहाई चाहती हूँ...
बस मैं तो कुछ वक़्त की तनहाई चाहती हूँ...
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