Wednesday, January 27, 2010
ये लो जिंदगी की शाम भी आ गई और अभी तो जीवन में कितना कुछ होना बाकि है... अभी तो कहना था तुमसे बहुत कुछ...सुनना था तुमसे बहुत कुछ...कुछ प्यार की बातें...कुछ तकरार की बातें...जाना था तुम्हारे साथ वहां... जहाँ एक नदी थी...जिसके पार जाना था...पहाड़ी की हरियाली पर तुम्हारे साथ फिसलना था.... एक बार सुदूर जंगल के एकांत में जोर से तुम्हारा नाम पुकारना था....तुम्हारी गर्दन में अपनी बाहें डाले तुम्हारी पीठ पर लटक जाना था....अचानक पीछे से आकर तुम्हारी आँखों को मूंद लेना था... अपनी उँगलियों से गीली रेत पर तुम्हारा नाम लिखना था...सुरमुई शाम को चुपचाप चट्टान पर बैठ समंदर की लहरों को गिनना था... तुम्हारी हूँ...तुम्हारी रहूंगी हमेशा इस एहसास में जीना था...दुनिया की इस भीड़ में सहम कर तुम्हारी हथेली थामे बस यूँ ही गुज़ारना था...तुम्हे यूँ ही बिना मकसद टकटकी बांधे घंटो देखना था...अपने भीगे बालों के छीटों से तुम्हारी उस फाइल को भिगोना था...जिसका बहाना ले कर मुझे तुम तडपाते थे... और तुम्हे सुख के सितारों से जड़ी कुछ यादें देनी थी ...और निरंतर उस मोड़ तक साथ चलना था....जहाँ से हमारी राहें जुदा हुई थी ...और हम देर तलक एक दुसरे से सिर्फ अलविदा कह रहे थे...इस आस में की हम दोनों में से कोई तो किसी को रोकेगा...कहेगा मत जाओ...लेकिन हमारे अहम् ने हमे कहने से रोक लिया...और हम जुदा हो गए....और देखो ना ये जीवन भी कमबख्त इस रफ़्तार से गुज़रा....कि ऐसा कुछ न हुआ जीवन में...जो सोचा था...जो जीना था...और अब ये लगता है की कितना कुछ होना बचा रह गया। और अब ये जिंदगी की शाम भी आ गई...अर्चना...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत सुंदर लिखा है अर्चना जी । कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें इससे टिप्पणी करना मुश्किल हो जाता है ।
ReplyDeleteबढिया लिखा है.निवेदन है कि अर्चना जी की बात पर ध्यान दें.
ReplyDeletebehtreen
ReplyDeleteBehad sundar likha hai..hamara aham kayi baar pyarme badha ban jata hai..samay haath se fisal jata hai..
ReplyDeleteSundar aalekh..seedha manse manme pahunch gaya..wah!
ReplyDeletehi
ReplyDeleteu have written very nice
दिल मेरा हर जगह.. बस तुझे ढूंढें यार..
झील, पर्वत, हवायें हैं मेरे गवाह..
शामें हों या सुबह.. हम तुझे ढूढें यार..
आते-जाते ये मौसम हैं सारे गवाह..
जरा बता रहे.. तेरे बिना जीना कुछ भी नहीं..
जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम क्यूं जियें तेरे बिन..
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
ReplyDeleteअरे ये तो बहुत सुन्दर कविता है !
ReplyDeletesuperb effort
ReplyDeleteसुन्दर कविता.......
ReplyDeleteBlogjagat me swagat hai!
ReplyDeletemain siddhaantvaadee logon kee kadra karataaa hun.
ReplyDeletebeshak aapke sampurn lekhan men iskee jhalak miltee rahegee.