Friday, January 15, 2010

रंग बदलते संसार में...जीवन की तेज़ रफ़्तार में....यादें तुम्हारी मेरी धरोहर...मुफलिसी के इस बाज़ार में...कितनी मुश्किलें...कितनी उलझाने...हर पल एक नया संघर्ष हैं लाई...लेकिन तुम्हारी यादें मन में...एक नया हौसला भी लाई...अब यही हौसला मेरे जीने का आधार हैं...तुम नहीं साथ तो क्या हुआ...तुम्हारी यादों की धरोहर तो मेरे साथ हैं...जानते हो अब जिंदगी की राह में... अंधेरों का मुझे डर नहीं...क्यूंकि मुझे पता है...तुम्हारी यादों के ये छोटे -छोटे जुगनू... मुझे रौशनी दिखायेंगे...और इसी रौशनी के सहारे... मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचाएंगे...और जानते हो मेरी मंजिल क्या है...मेरी मंजिल है...जीवन भर यूँ ही... तुम्हारी इस अनमोल...बेमिसाल...और जान से भी प्यारी... यादों की इस धरोहर को संजोये रखना...अर्चना....

1 comment: