Sunday, March 7, 2010

इतिहास में दर्ज है नारी के कई रूप...हाँ वो बेबस गांधारी...जिसने पति की आँखें बनने की बजाए...अपने ही नज़ारों से तौबा कर ली...हाँ वो लाचार अहिल्या...जिसने पत्थर बन...बरसों अपने बेगुनाह होने का इंतज़ार किया...हाँ वो पवित्र पतिव्रता सीता...जो अग्निपरीक्षा के बाद भी धरती में समा गई...कभी-कभी सोचती हूँ तो लगता है... आज भी तो सब कुछ वैसा ही है...हर पल कहीं ना कहीं एक गांधारी...एक अहिल्या...या एक सीता...आज भी इसी दौर से गुज़र रही है...कहीं उसकी अस्मत लुटती है...तो कहीं उसका जिस्म छलनी है...तो कही उसका अस्तित्व ही दाव पर लगा है...लेकिन फिर भी वो अटल है...वो निश्छल है...वो निष्पाप है...वो त्याग है...वो बलिदान है...वो शक्ति है...वो सृजन है...वो सुन्दर है...वो सुशील है...वो बेटी है...वो बहन है...वो सखी है...वो पत्नी है...और इस दुनिया की सबसे बड़ी हस्ती...सबसे बड़ा व्यक्तित्व है...वो माँ है...वो नारी है...अर्चना...अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं...

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