Thursday, March 4, 2010

वो कहते है की मेरी आँखें बहुत बोलती है...इसका राज़ क्या है...अब कैसे बताऊँ उन्हें की ये उन्ही का दिया एक अधूरा ख्व़ाब है...जो मेरी पलकों के एक कोने में क़ैद... आज़ादी की गुहार लगा रहा है...अर्चना....

2 comments:

  1. वाह ये तो खूब रही।
    मेरी बोलती आंख, उनका चमकता ख्बाब है।

    ReplyDelete
  2. दे दो आजादी ख्वाबों को....कैद में रख कर याद करने से क्या फायदा....जो कहना है कह दो...न कहने से क्या फायदा.....कह दोगे तो न कह पाने की कसक दूर हो जाएगी...

    ReplyDelete