Saturday, February 6, 2010

कल शब् जब मैं अपनी जिंदगी में मिली...तो मैंने उस से पूछ ही लिया....की सुनो मेरी लाख कोशिशों के बाद भी तुम इतनी उदास क्यूँ हो...इतनी तनहा...इतनी अकेली क्यूँ हो...बोलो तुम ऐसी क्यूँ हो...तो वो हलके से मुस्काई...और बोली....हाँ मैं ऐसी ही हूँ...एक अनबूझ पहेली सी...खुद अपनी आप सहेली सी...एक अनाम अकेली सी...हाँ मैं तो ऐसी ही हूँ...तब मैंने भी हंस कर कहा...अच्छा और अपने बारे में कुछ और बताओ...तो वो बोली मैं किसी से बंधना गर चाहू तो ऐसे बंधू ...की जिसे वक़्त और हालात की धार ना काट सके...कटू तो ऐसे जैसे की जैसे किसी शाख से पत्ता टूट कर फिर कभी ना जुड़ सके...तो मैंने उस से कहा की तुम्हारे पास जीने के लिए क्या है...तो उसने कहा मेरे पास कुछ उसूल है...जो दुनिया की नज़र में एक दम बेकार है...और जिनकी वजह से फूल नहीं है मेरी राहों में...हाँ मेरी राह कुछ कंटीली सी है...कुछ पथरीली सी है...लेकिन मैं खुश हूँ....क्यूंकि मैं तो ऐसी ही हूँ...और ये कह कर वो फिर मेरे सपनो में खो गई...और जब मेरी आँख खुली तो पहली बार उसकी ये बातें सुन कर मुझे ये अहसास हुआ की सच... मैं तो यूँ ही परेशां थी....जबकि उसकी तो इस उदासी में भी कितना सकून है...क्यूंकि वो लाख अकेली...एक पहेली... और थोड़ी पगली सी है...लेकिन उसका दामन दागदार नहीं...उसकी आत्मा पर कोई बोझ नहीं...और अब ऐसा लगता है की मैं थोडा सा खुश हो कर ये कह सकती हूँ की मेरी जिंदगी अब उदास नहीं...अकेली नहीं...उसके उसूल उसके साथ है...हाँ मेरी जिंदगी अब किसी के साथ है...अर्चना...

3 comments:

  1. Bahut sundar,saral prabhav shali shaili hai!.जबकि उसकी तो इस उदासी में भी कितना सकून है...क्यूंकि वो लाख अकेली...एक पहेली... और थोड़ी पगली सी है...लेकिन उसका दामन दागदार नहीं...उसकी आत्मा पर कोई बोझ नहीं...और अब ऐसा लगता है की मैं थोडा सा खुश हो कर ये कह सकती हूँ की मेरी जिंदगी अब उदास नहीं...अकेली नहीं...उसके उसूल उसके साथ है...हाँ मेरी जिंदगी अब किसी के साथ है...अर्चना...

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