मेरे अह्सास...
मेरे मन के आगँन में कुछ बिखरें अह्सास...
Sunday, February 7, 2010
मेरे आंसूंओं से तुम बिलकुल परेशां मत होना...क्यूंकि तुम्हारी कोई खता नहीं है...बस वो तो कुछ कांच के ख्वाब थे आँखों में,वही टूट कर चुभ गए है...अर्चना...
1 comment:
DILSHAD AHMAD ANSARI
February 8, 2010 at 12:33 AM
VICHAR ACHE HAI.
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