Sunday, February 7, 2010

मेरे आंसूंओं से तुम बिलकुल परेशां मत होना...क्यूंकि तुम्हारी कोई खता नहीं है...बस वो तो कुछ कांच के ख्वाब थे आँखों में,वही टूट कर चुभ गए है...अर्चना...

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