Wednesday, February 17, 2010

एक भरपूर जिंदगी

कौन जीता है सच के दायरे में यारों...क्यूंकि एक सच जिसने ये साबित कर दिया है... की आज की जिंदगी एक झूठ का एक पुलिंदा है..जिसके सहारे इंसा अपनी जिंदगी का सफ़र तय करता है...लेकिन धीरे-धीरे ये जाना की ये भी पूरा सच नहीं है...क्यूंकि इस जिंदगी के सफ़र में कई लोग ऐसे भी मिले है...जो सच का दामन थामे अपने ख़्वाबों को टूटते देखते है...लेकिन फिर भी उम्मीद का साथ नहीं छोड़ते...क्यूंकि वो जानते है की झूठ के साये में जीने वाला... अपने हर ख्वाब को एक लम्हे में पूरा तो कर लेता है...लेकिन फिर भी उसकी जिंदगी सतही कहलाती है...और उन में शिद्दत नहीं होती की वो सच का दामन थाम ...जिंदगी के गहरे सागर से वो मोती खोज लाये...जिसे लोग संतोष कहते है...और जिसके सहारे सच्चा इंसा हर दिन एक नया ख्वाब देखता है...बेशक वो अगली सुबह टूट जाये...लेकिन फिर भी आस की डोर थामे वो सच के पथ पर निरंतर चलता है...या सच कहे तो वो असल मायने में जिंदगी जीता है...हाँ अब हम कह सकते है की कुछ लोग ऐसे है...जो सच के दायरे में जीते है...और जी भर के जीते है...अर्चना...

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